तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है...
2. बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'
कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
3. मत पूछ कि क्या हाल है, मेरा तेरे पीछे,
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे...
4. हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
5. न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझ को होने ने, न होता मैं तो क्या होता...
6. 'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र ओ शब-ए-माहताब में
7. रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल,
जो आंख ही से न टपका, तो वो लहू क्या है...
8. हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
9. आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती
10. वो आए घर में हमारे ख़ुदा की कुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
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