Sunday, December 15, 2019

ज़रा सोचो तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ है

ज़रा सोचो तो मेरे साथ ऐसा क्यूँ हुआ है 
बदन टूटा हुआ था पारा पारा क्यूँ हुआ है 

ख़ुद अपनी मौज से बेगाना दरिया क्यूँ हुआ है 
जो होना ही नहीं था आज ऐसा क्यूँ हुआ है 

सुरों पर आसमाँ डूबा हुआ है बादलों में 
दुखों की झील का पानी भी गहरा क्यूँ हुआ है 

ख़ुदाया आजिज़ी से मैं ने माँगा क्या मिला क्या 
असर मेरी दुआओं का ये उल्टा क्यूँ हुआ है

.ये कैसी रौशनी है और किन राहों से आई है 
यकायक मेरी आँखों में अंधेरा क्यूँ हुआ है 

वहाँ की आब-जू में तेल बहता है बराबर 
यहाँ वादी में अपनी ख़ुश्क दरिया क्यूँ हुआ है 
कहाँ जाएँगे तुझ को छोड़ कर ऐ माँ बता दे 
तिरी आग़ोश में दुश्वार जीना क्यूँ हुआ है 

ये किस ने कर दिया दो लख़्त मुझ को आज 'हमदम' 
कहाँ हूँ मैं मिरा साया अकेला क्यूँ हुआ है 

- हमदम कशमीरी

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