Monday, December 9, 2019

गली गली मिरी याद बिछी है प्यारे रस्ता देख के चल

गली गली मिरी याद बिछी है प्यारे रस्ता देख के चल 
मुझ से इतनी वहशत है तो मेरी हदों से दूर निकल 

एक समय तिरा फूल सा नाज़ुक हाथ था मेरे शानों पर 
एक ये वक़्त कि मैं तन्हा और दुख के काँटों का जंगल 

याद है अब तक तुझ से बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे 
तू ख़ामोश खड़ा था लेकिन बातें करता था काजल

मैं तो एक नई दुनिया की धुन में भटकता फिरता हूँ 
मेरी तुझ से कैसे निभेगी एक हैं तेरे फ़िक्र ओ अमल 

मेरा मुँह क्या देख रहा है देख इस काली रात को देख 
मैं वही तेरा हमराही हूँ साथ मिरे चलना हो तो चल! 

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