Sunday, December 22, 2019

ख़्वाब-दर ख़्वाब बेक़रारी है

ख़्वाब-दर ख़्वाब बेक़रारी है
रात अब सुबह तक तुम्हारी है

कोई शुरुआत कर गया ऐसी
कि बदस्तूर खेल जारी है

हमने सब सूरतें बयां कर दीं
अब /हुजूर हुकूमत की ज़िम्मेदारी है

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