तमाम उम्र यही आसरा ही काफ़ी है !
जहां कहीं मिलो , मिल के मुस्कुरा देना
ख़ुशी के वास्ते ये सिलसिला ही काफ़ी है
मुझे बहारों के मौसम से नहीं कुछ लेना
तुम्हारे प्यार के रंगीन फिजा ही काफी है...!!"
#अज्ञात
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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