Sunday, December 22, 2019

पिछली रात का चाँद है या है अक्स तेरी अंगडाई का!!

रात की ज़ुल्फ़ें भीगी भीगी और आलम तन्हाई का
कितने दर्द जगा देता है इक झोंका पुर्वाई का!


उडते लहरों के दामन में तेरी याद की खूशबू है
पिछली रात का चाँद है या है अक्स तेरी अंगडाई का!!

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