1)
सीना दहक रहा हो तो क्या चुप रहे कोई
क्यूं चीख़ चीख़ कर न गला छील ले कोई
2)
कौन इस घर की देख-भाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है
3)
मेरे कमरे को सजाने की तम्मना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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