मर गया है कोई मुझ में उस पे मिट्टी डालिए,
अपनी सारी ख़्वाहिशों को ढेर कर आया हूँ मैं!
वो जिसे पाने की हसरत दिल में मुद्दत से रही,
उस के ही ख़ातिर उसे अब ग़ैर कर आया हूँ मैं!
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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