Wednesday, December 25, 2019

हर तरफ़ फैली हुई थी रौशनी ही रौशनी

हर तरफ़ फैली हुई थी रौशनी ही रौशनी
वो बहारें थीं कि अब के बाग़ में रस्ता न था! 

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