कहाँ मोड़ था उसे भूल जा!
वो जो मिल गया उसे याद रख,
जो नहीं मिला उसे भूल जा!
वो तेरे नसीब की बारिशें,
किसी और छत पे बरस गईं!
दिल-ए-बे-ख़बर मेरी बात सुन,
उसे भूल जा उसे भूल जा!
मैं तो गुम था तेरे ही ध्यान में,
तेरी आस तेरे गुमान में!
सबा कह गई मिरे कान में,
मेरे साथ आ उसे भूल जा!
किसी आँख में नहीं अश्क-ए-ग़म,
तेरे बाद कुछ भी नहीं है कम!
तुझे ज़िंदगी ने भुला दिया,
तू भी मुस्कुरा उसे भूल जा!
कहीं चाक-ए-जाँ का रफ़ू नहीं किसी आस्तीं पे लहू नहीं
कि शहीद-ए-राह-ए-मलाल का नहीं ख़ूँ-बहा उसे भूल जा
क्यूँ अटा हुआ है ग़ुबार में,
ग़म-ए-ज़िंदगी के फ़िशार में,
वो जो दर्द था तिरे बख़्त में,
सो वो हो गया उसे भूल जा!
तुझे चाँद बन के मिला था जो,
तेरी साहिलों पे खिला था जो,
वो था एक दरिया विसाल का,
सो उतर गया उसे भूल जा!
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