Tuesday, May 27, 2025

न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा

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इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए

Munawwar Rana

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न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा

दुआ भी काम न आए कोई दवा न लगे

-अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

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ज़िंदगी यूँ भी गुज़र ही जाती

क्यूँ तिरा राहगुज़र याद आया

मिर्ज़ा ग़ालिब

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अदू को छोड़ दो फिर जान भी माँगो तो हाज़िर है

तुम ऐसा कर नहीं सकते तो ऐसा हो नहीं सकता

मुज़्तर ख़ैराबादी

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