Friday, May 16, 2025

हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए

 जिसे न आने की क़स्में मैं दे के आया हूँ

उसी के क़दमों की आहट का इंतिज़ार भी है

जावेद नसीमी
*
कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई
दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई

ख़ुर्शीद अहमद जामी
*
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए

दुष्यंत कुमार
*
सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है
आदमी आदमी को भूल गया

जौन एलिया

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