जिसे न आने की क़स्में मैं दे के आया हूँ
उसी के क़दमों की आहट का इंतिज़ार भी है
जावेद नसीमी
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कोई हलचल है न आहट न सदा है कोई
दिल की दहलीज़ पे चुप-चाप खड़ा है कोई
ख़ुर्शीद अहमद जामी
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मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
दुष्यंत कुमार
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सब से पुर-अम्न वाक़िआ ये है
आदमी आदमी को भूल गया
जौन एलिया
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