Monday, May 5, 2025

दिल नाउमीद तो नहीं नाकाम ही तो है

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

*

वो आ रहे हैं वो आते हैं आ रहे होंगे

शब-ए-फ़िराक़ ये कह कर गुज़ार दी हम ने

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जानता है कि वो न आएँगे

फिर भी मसरूफ़-ए-इंतिज़ार है दिल

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नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल

सफ़र में भी तो सदियों की मसाफ़त चाहिए है

- फ़रहत नदीम हुमायूँ

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दिन भर तो मैं दुनिया के धंदों में खोया रहा
जब दीवारों से धूप ढली तुम याद आए
-नासिर काज़मी

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