Tuesday, May 6, 2025

आप का ख़त नहीं मिला मुझ को

 आप का ख़त नहीं मिला मुझ को

दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को

- असर लखनवी

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रवाँ-दर्वाँ है ज़िंदगी चराऱ के बग़ैर भी

है मेरे घर में रौशनी चराऱ के बगैर भी

- अख्तर सईदी

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नींद मिट्टी की महक सब्ज़े की ठंडक

मुझ को अपना घर बहुत याद आ रहा है

- अब्दुल अहद साज़


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