Saturday, May 3, 2025

शायरी है सरमाया ख़ुश-नसीब लोगों का

मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती

ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता

- अब्बास ताबिश

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मुश्किल था कुछ तो इश्क़ की बाज़ी को जीतना

कुछ जीतने के ख़ौफ़ से हारे चले गए

-शकील बदायूंनी

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दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती

इतनी खूबसूरत ये ज़िंदगी नहीं होती

दोस्त पे करम करना और हिसाब भी रखना

कारोबार होता. है. दोस्ती नहीं होती

ख़ुद चराग बन के जल वक़्त के अँघेरे में

भीक के उजालों से रौशनी नहीं होती

शायरी है सरमाया ख़ुश-नसीब लोगों का

बाँस की हर इक टहनी बाँसुरी नहीं होती

खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो

हार जीत कोई भी आख़िरी नहीं होती

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