घाव तो बहुत हैं पर तुझें दिखाऊँ कैसे
अपना बेबस हाल तुझें समझाऊँ कैसे
तूने पूछा था मुझसें मलाल मेरा क्या हैं
रिवायत में बंधे इश्क़ क़ो बतलाऊँ कैसे
उसके नाम के ख़ातिर ज़ज़्बात दफन हैं
मेरी जान क़ो जान कह के बुलाऊँ कैसे
तुझें दिल के मंदिर का राम बना रखा हैं
इश्क़ के सजदे में झुका सर उठाऊँ कैसे
कैसे कह दे, हम अंदर से मर चुके जानाँ
तेरे इश्क़ में ख़ुद क़ो मैं मुर्दा दर्शाऊं कैसे
कृष्णा की चाहत के तुझें आँखों में भरले
अब बता, तेरे चेहरे से नज़र हटाऊँ कैसे
- कृष्णा शर्मा
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