Tuesday, May 6, 2025

न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए

 मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए

न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए

मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए

अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर सँभल न जाए

मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना
तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए

मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए

अनवर मिर्ज़ापुरी

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