Tuesday, May 6, 2025

बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग

 बदले हुए से लगते हैं अब मौसमों के रंग

पड़ता है आसमान का साया ज़मीन पर

- हमदम कशमीरी

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ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को

ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं

- ख़ुमार बाराबंकवी

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मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है

कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता

- बशीर बद्र

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चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी

वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते

- क़तील शिफ़ाई

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