बस मोहब्बत बस मोहब्बत बस मोहब्बत जान-ए-मन
बाक़ी सब जज़्बात का इज़हार कम कर दीजिए
- फ़रहत एहसास
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ये ग़म जुदा है बहुत जल्द-बाज़ थे हम तुम
ये दुख अलग है अभी काएनात बाक़ी है
- जमाल एहसानी
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उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना
यहाँ जो हादसे कल हो गए हैं
- नासिर काज़मी
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मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मअ'नी
ये तिरी सादा-दिली मार न डाले मुझ को
- क़तील शिफ़ाई
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