आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
आइना कोई ऐसा बना दे, ऐ ख़ुदा जो, इंसान का चेहरा नहीं क़िरदार दिखा दे।
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