आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
तेरी जुस्तजू में निकले तो अजब सराफ देखे, कभी शब को दिन कहा तो कभी दिन में ख्वाब देखे!
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