आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
दीवाना बनाना है तो दीवाना बना दे वर्ना कहीं तक़दीर तमाशा न बना दे
ऐ देखने वालो मुझे हँस हँस के न देखो तुम को भी मोहब्बत कहीं मुझ सा न बना दे!
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