आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
अजीब दर्द का रिश्ता था सब के सब रोए, शजर गिरा तो परिंदे तमाम शब रोए। 😔
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