इंसान का जहीन होना गुनाह है ..
कायरता समझते है लोग मधुरता को ..
जुबान का शालीन होना गुनाह है ..
लोग इस्तेमाल करते है नमक की तरह ..
आंसुओ का नमकीन होना गुनाह है ..
दुश्मनी हो जाती है मुफ्त में सैकड़ो से ..
इंसान का बेहतरीन होना गुनाह है ..!"
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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