Sunday, October 6, 2019

तुम याद आओगी

रात की चादर ओढ़कर
चाँदनी खिलखिलाएगी
तब तुम याद आओगी।

उजास की चुनरी लपेटकर
किरणें मुस्कुराएँगी
तब तुम याद आओगी।

ठंडी चाँदनी में।
गर्म किरणों में।
सुस्त आँखों में।
गहरे सपनो में।
सब में तुम
समाहित हो जाओगी।
और याद आओगी।

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