Monday, November 11, 2019

मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

गुलाबों की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते हैं
मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं

किसी ने जिस तरह अपने सितारों को सजाया है
ग़ज़ल के रेशमी धागे में यूँ मोती पिरोते हैं

पुराने मौसमों के नामे-नामी मिटते जाते हैं
कहीं पानी, कहीं शबनम, कहीं आँसू भिगोते हैं

यही अंदाज़ है मेरा समन्दर फ़तह करने का
मेरी काग़ज़ की कश्ती में कई जुगनू भी होते हैं

सुना है बद्र साहब महफ़िलों की जान होते थे
बहुत दिन से वो पत्थर हैं, न हँसते हैं न रोते हैं

-बशीर बद्र 

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