Monday, November 18, 2019

जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा

कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे 
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे! 

मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का 
इरादा मैं ने किया था कि छोड़ दूँगा उसे! 

बदन चुरा के वो चलता है मुझ से शीशा-बदन 
उसे ये डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूँगा उसे! 

पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ़ सूरज 
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे! 

मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को 
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे! 

No comments: