Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
Blog Archive
►
2025
(137)
►
June
(21)
►
May
(54)
►
April
(15)
►
March
(6)
►
February
(38)
►
January
(3)
►
2024
(108)
►
November
(6)
►
October
(16)
►
September
(13)
►
August
(2)
►
July
(23)
►
May
(7)
►
April
(18)
►
March
(6)
►
February
(15)
►
January
(2)
►
2023
(584)
►
December
(73)
►
November
(20)
►
October
(25)
►
September
(14)
►
August
(51)
►
July
(37)
►
June
(104)
►
May
(74)
►
April
(34)
►
March
(48)
►
February
(47)
►
January
(57)
►
2022
(59)
►
December
(2)
►
September
(2)
►
August
(3)
►
July
(3)
►
June
(1)
►
May
(14)
►
April
(10)
►
March
(15)
►
February
(7)
►
January
(2)
►
2021
(170)
►
December
(14)
►
November
(8)
►
October
(1)
►
September
(2)
►
August
(1)
►
July
(2)
►
June
(7)
►
May
(34)
►
April
(24)
►
March
(18)
►
February
(36)
►
January
(23)
►
2020
(1269)
►
December
(61)
►
November
(68)
►
October
(89)
►
September
(70)
►
August
(43)
►
July
(72)
►
June
(122)
►
May
(189)
►
April
(165)
►
March
(141)
►
February
(90)
►
January
(159)
▼
2019
(963)
►
December
(112)
▼
November
(144)
कैफ़ियत शायरी
रूह सिलवट हटा रही होगी
छल-रहित व्यवहार मेरा
पलट के आऊंगी शाखों पे खुशबुएँ लेकर
रास्ते बंद हैं सब कूचा-ए-क़ातिल के सिवा
ग़म-ए-आशिक़ी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुँचे
हम उन्हें देखें, की उनका देखना देखें
परवीन शाकिर के 3 शेर–
दर्द क्या होता है बताएँगे किसी रोज़
मीर की ग़ज़लें ढूंड रहा हूँ तुलसी की चौपाई में
सिरहाने तकिये तले दबा तेरा ख्वाब है,तभी शायद हर एक...
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल नशा शराब ...
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल नशा शराब ...
नाख़ुदा जिन का नहीं उन का ख़ुदा होता है
बेजान से दिल में जान आयी
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
कुछ इस तरह चाँद को ताक लिया करते हैं
तुम्हें लिखकर, तुम्हें ही सुनाते हैं।
दो रोज़ की महफ़िल है इक उम्र की तन्हाई
फिर भी नज़र को हसरत-ए-दीदार रह गई!
गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
नकाब हो या नसीब सरकता जरुर है।
फिर भी नज़र को हसरत-ए-दीदार रह गई!
तोड़ेंगे गुरुर इश्क का
राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें
जिक्र करना हमारा अपने अल्फ़ाज में...
ढूँडोगे तो इस शहर में क़ातिल न मिलेगा
यूँ आकर तेरे ख्याल ने अच्छा नहीं किया
ढूँडोगे तो इस शहर में क़ातिल न मिलेगा
कभी खोल ली ज़ुल्फ़ें उसने
निशानी है किसी के प्यार की!
ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
कई बार तोड़ा हैं मैंने खुद से किया वादा...
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा
तो कुछ कांटे भी बाग मे सजाकर देखो।
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ
Motivational शायरी
You & Me
उल्टी हो गईं सब तदबीरें
मैंने देखाखुद को जाते हुएउसके साथ
हम जो जिंदा है जीने का हुनर रखतें है!
बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया
एक शाम गुजारूँगा चला जाऊँगा
इस शहर-ए-ख़मोशाँ में सदा दें तो किसे दें,
है शोर साहिलों पर सैलाब आ रहा है
दिल आबाद कहाँ रह पाए उस की याद भुला देने से
घर कर जाती है दिल में तेरी याद ,
न तो गुफ़्तगू है,न दिल उसे भूला ही है
अब तो चुप-चाप शाम आती है
ऐसा नहीं है की वो, मेरे शहर आता नहीं
तुम्हारी आँखों/होठों की तौहीन है ज़रा सोचो
मेरे इश्क़ से नाराज़ इसलिए भी हूँ
खुदाया, बस प्यार की एक कली चाहिए..
कभी भूल कर किसी से न करो सलूक ऐसा
Yaado Me Humari Aap Bhi Khoye Honge,
जिंदगी कभी न मुस्कुराई फिर बचपन की तरह
बहुत सँभल के चले हम मगर सँभल न सके!
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है~बशीर बद्र
आँखों को ग़र्क़ करने फिर ख़्वाब आ रहा है!
असरार (रहस्य) शायरी
बशीर बद्र शायरी 20
कुछ तो जरुर सोचा होगा... कायनात ने तेरे मेरे रिश्त...
यादों में तो सब के बस गए,
तस्वीर
हमने तो मोहब्बतइस हद तक निभाई है
तस्वीर
बशीर बद्र की तीन गजलें
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता
उर्दू शायरी
मैं मुस्लिम हूँ, तू हिन्दू है, हैं दोनों इंसान
एक तस्वीर मुस्कुराती हुई
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए
मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है, उसे चुपके-चुपके पढ़ा करो
मुझे अपनी कोई ख़बर न हो, तुझे अपना कोई पता न हो
किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी
फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था
रौशनी बख़्श दी ज़माने को
कि मुझे कोई तमन्ना ना रहे
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत
मैं नहीं तो कोई तुझको, दूसरा मिल जाएगा
सबको सन्मति दे भगवान
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या
उठती ही नहीं निगाह अब किसी और की तरफ़
फिर सेख़्वाबों की कोई दुनिया आबाद करें फिर से
कब ज़िंदगी गुज़ारी है अपने हिसाब में
इकबाल शायरी
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है
वो मुझ में घुल के सो जाए!
हाय इस क़ैद को ज़ंजीर भी दरकार नहीं
अहबाब - प्रियजन शायरी
हजारों लोग शरीक हुए थे जनाज़े में उसके,तन्हाइयों क...
सभी कुछ हो चुका उन का हमारा क्या रहा
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी...
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़
तुम हमारे होते
चरागों को हवाओं से इश्क़ हो गया है
न तू आया, न याद आयी तेरी इक लंबे अरसे से
►
October
(120)
►
September
(64)
►
August
(29)
►
July
(39)
►
June
(59)
►
May
(34)
►
April
(81)
►
March
(134)
►
February
(46)
►
January
(101)
►
2018
(234)
►
December
(1)
►
November
(1)
►
October
(20)
►
September
(32)
►
August
(4)
►
July
(85)
►
June
(33)
►
May
(3)
►
April
(7)
►
March
(42)
►
January
(6)
►
2017
(86)
►
December
(1)
►
November
(4)
►
October
(64)
►
September
(5)
►
August
(12)
►
2016
(4)
►
August
(1)
►
February
(2)
►
January
(1)
►
2015
(5)
►
August
(1)
►
July
(1)
►
May
(3)
►
2014
(27)
►
November
(1)
►
October
(1)
►
May
(2)
►
January
(23)
►
2013
(161)
►
December
(23)
►
November
(36)
►
October
(4)
►
September
(3)
►
August
(19)
►
July
(15)
►
June
(28)
►
May
(5)
►
April
(5)
►
February
(6)
►
January
(17)
►
2012
(39)
►
October
(2)
►
September
(13)
►
August
(9)
►
July
(9)
►
May
(2)
►
April
(3)
►
February
(1)
►
2011
(16)
►
December
(1)
►
November
(12)
►
July
(1)
►
April
(2)
►
2010
(2)
►
September
(1)
►
August
(1)
►
2009
(29)
►
September
(1)
►
August
(12)
►
July
(5)
►
June
(2)
►
May
(1)
►
April
(1)
►
March
(3)
►
February
(2)
►
January
(2)
►
2008
(16)
►
September
(12)
►
July
(4)
Search This Blog
About Me
Stayin' Alive
Hi. This is ashpri.
View my complete profile
Friday, November 22, 2019
फिर भी नज़र को हसरत-ए-दीदार रह गई!
क्या हुस्न था कि आंखों से देखा हज़ार बार
फिर भी नज़र को हसरत-ए-दीदार रह गई!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment