लम्हे-लम्हे की सियासत पे नज़र रखते हैं
हमसे दीवाने भी दुनिया की ख़बर रखते हैं
इतने नादां भी नहीं हम कि भटक कर रह जाएँ
कोई मंज़िल न सही, राहगुज़र रखते हैं
रात ही रात है, बाहर कोई झाँके तो सही
यूँ तो आँखों में सभी ख़्वाब-ए-सहर रखते हैं
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं!
हम से इस दरजा तग़ाफुल भी न बरतो साहब
हम भी कुछ अपनी दुआओं में असर रखते हैं
---जांनिसार अख्तर
हमसे दीवाने भी दुनिया की ख़बर रखते हैं
इतने नादां भी नहीं हम कि भटक कर रह जाएँ
कोई मंज़िल न सही, राहगुज़र रखते हैं
रात ही रात है, बाहर कोई झाँके तो सही
यूँ तो आँखों में सभी ख़्वाब-ए-सहर रखते हैं
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं!
हम से इस दरजा तग़ाफुल भी न बरतो साहब
हम भी कुछ अपनी दुआओं में असर रखते हैं
---जांनिसार अख्तर
लम्हे लम्हे की सियासत पे नज़र रखतें है!
हमसे दीवाने भी दुनिया की खबर रखते हैं!
इतने नादां भी नही हम की भटक कर रह जाए!
कोई मंज़िल न सही, रह गुज़र रखते है!
मार ही डाले जो बे मौत, ये वो दुनिया है!
हम जो जिंदा है जीने का हुनर रखतें है!
इस क़दर हम से तगफुल भी न बरतों साहिब! (don’t push us against the wall)
हम भी कुछ अपनी दुवाओं में असर रखते है!
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