Sunday, November 17, 2019

हम जो जिंदा है जीने का हुनर रखतें है!


लम्हे-लम्हे की सियासत पे नज़र रखते हैं
हमसे दीवाने भी दुनिया की ख़बर रखते हैं

इतने नादां भी नहीं हम कि भटक कर रह जाएँ
कोई मंज़िल न सही, राहगुज़र रखते हैं

रात ही रात है, बाहर कोई झाँके तो सही
यूँ तो आँखों में सभी ख़्वाब-ए-सहर रखते हैं

मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं!

हम से इस दरजा तग़ाफुल भी न बरतो साहब
हम भी कुछ अपनी दुआओं में असर रखते हैं

---जांनिसार अख्तर



लम्हे लम्हे की सियासत पे नज़र रखतें है!

हमसे दीवाने भी दुनिया की खबर रखते हैं!

इतने नादां भी नही हम की भटक कर रह जाए!

कोई मंज़िल न सही, रह गुज़र रखते है!

मार ही डाले जो बे मौत, ये वो दुनिया है!

हम जो जिंदा है जीने का हुनर रखतें है!

इस क़दर हम से तगफुल भी न बरतों साहिब! (don’t push us against the wall)

हम भी कुछ अपनी दुवाओं में असर रखते है!

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