Thursday, November 21, 2019

राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें

राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें
रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो

एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

~ डॉ राहत इंदौरी 

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