Saturday, November 9, 2019

वो मुझ में घुल के सो जाए!

कोई कब तक महज सोचे
कोई कब तक महज गाये.. 
इलाही क्या ये मुमकिन है
कि कुछ ऐसा भी हो जाए..
मेरे महताब उसकी रात के
आगोश में पिघले..
मैं उसकी नींद में जागूं
वो मुझ में घुल के सो जाए!

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