घोल कर शहद में वो ज़हर पिला देते हैं
यूँ तो होते हैं मोहब्बत में जुनूँ के आसार
और कुछ लोग भी दीवाना बना देते हैं
वाए-तक़दीर कि वो ख़त मुझे लिख लिख के 'ज़हीर'
मेरी तक़दीर के लिक्खे को मिटा देते हैं
ज़हीर देहलवी
मोहब्बत यारों जुनूँ का काम नहीं
ये वो सफ़र है जिस में आराम नहीं
तुझे देखने का जुनून--और भी गहरा होता है ,,¡¡
जब तेरे रुखसार पे ज़ुल्फ़ों का पहरा होता है..!
वो किसी से तुम को जो रब्त था तुम्हें याद हो कि न याद हो
वो किसी पे था कोई मुब्तिला तुम्हें याद हो कि न याद हो !!
#जहीर_देहलवी
बुतों से बंचके चलने पर भी आफ़त आ ही जाति हैं ये काफिर वो क़यामत हैं तबियत आ भी जाति हैं
~~ज़हीर देहलवी
इश्क़ का रोग कि दोनों से छुपाया न गया
हम थे सौदाई तो कुछ वो भी दीवाने निकले
-कुमार पाशी
ज़िंदगी पर इस से बढ़ कर तंज़ क्या होगा 'फ़राज़'
उस का ये कहना कि तू शाएर है दीवाना नहीं
अहमद फ़राज़
"अहले-ख़िरद क्या जाने उनको, उनकी भी मजबूरी है,
इश्क़ में कुछ पागल सा होना शायद बहुत ज़रूरी है।"
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