कल जब ख़्वाबों में तेरे बालों पे हाथ फेरा.
तेरे आने की जब ख़बर महके,
तेरे खुश्बू से सारा घर महके,
शाम महके तेरे तसव्वुर से,
शाम के बाद फिर सहर महके।
उसके नूर उसके गुरूर पर इख्तियार सिर्फ मेरा है।।
उसे यूं ना तकिए जनाब वो चांद सिर्फ मेरा है।।
थोड़ी बेताबी ,थोड़ी तन्हाई थोड़ा इंतज़ार, कुछ पुरानी यादें,
बड़े सलीके से हमने अपने ज़ेहन में सजा कर रखे हैं।
हुस्न के क़सीदे तो गड़ती रहेगी महफ़िलो में,,, ¡¡
झुर्रिया भी प्यारी लगे तो मान लेना इश्क़ हैं... !!
No comments:
Post a Comment