Monday, February 22, 2021

जोश मलीहाबादी शायरी

दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया
जब चली सर्द हवा मैं ने तुझे याद किया


शाइरी क्यूं न रास आए मुझे
ये मिरा फ़न्न-ए-ख़ानदानी है

छाई हुई है इश्क़ की फिर दिल पे बे-ख़ुदी
फिर ज़िंदगी को होश में लाए हुए हैं हम


तबस्सुम है वो होंटों पर जो दिल का काम कर जाए
उन्हें इस की नहीं परवा कोई मरता है मर जाए

आई जब स्टेज पर दुनिया तो दिल ख़ुश हो गया
जब उठा अंजाम का पर्दा तो नफ़रत हो गई


एक दिन कह लीजिए जो कुछ है दिल में आप के
एक दिन सुन लीजिए जो कुछ हमारे दिल में है

आड़े आया न कोई मुश्किल में
मशवरे दे के हट गए अहबाब


इस का रोना नहीं क्यूं तुम ने किया दिल बर्बाद
इस का ग़म है कि बहुत देर में बर्बाद किया

हां आसमान अपनी बुलंदी से होशियार
अब सर उठा रहे हैं किसी आस्तां से हम


उस ने वा'दा किया है आने का
रंग देखो ग़रीब ख़ाने का

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