Saturday, February 6, 2021

समझता हूँ मगर दुनिया को समझाना नहीं आता

सरापा राज़ हूँ मैं क्या बताऊँ कौन हूँ क्या हूँ
समझता हूँ मगर दुनिया को समझाना नहीं आता
~ यगाना चंगेज़ी

मुझे ए नाखुदा आख़िर किसी को मुँह दिखाना है
बहाना करके तन्हा पार उतर जाना नहीं आता

सरापा राज़ हूँ मैं, क्या बताऊँ, कौन हूँ, क्या हूँ
समझता हूँ, मगर दुनिया को समझाना नहीं आता

दिल यह बेहौसला है, एक ज़रा सी ठेस का मेहमान
वो आंसू क्या पिएगा, जिस को ग़म उठाना नहीं आता
यगानाचंगेज़ी

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