इश्क़ अगर है जुर्म तो मुजरिम राँझा है या हीर लिखो
इलियास इश्क़ी
【तदबीर=उपाय】
उस की आँखों के अगर वस्फ़ रक़म कीजिएगा
शाख़-ए-नर्गिस को क़लम कर के क़लम कीजिएगा
इश्क़ औरंगाबादी
【वस्फ़=प्रशंसा,शाख़-ए-नर्गिस=नर्गिस जो कि फूल की प्रजाति है उस की डाली,क़लम=काटना,पेन】
ज़ुल्फ़ की शाम सुब्ह चेहरे की
यही मौसम जनाब दे दीजे
साबिर दत्त
हुस्न को हुस्न बनाने में मिरा हाथ भी है
आप मुझ को नज़र-अंदाज़ नहीं कर सकते
रईस फ़रोग़
दौलत है बड़ी चीज़ हुकूमत है बड़ी चीज़ इन सब से बशर के लिए इज़्ज़त है बड़ी चीज़... जब ज़िक्र किया मैं ने कभी वस्ल का उन से वो कहने लगे पाक मोहब्बत है बड़ी चीज़...
नूह नारवी
【बशर=इंसान,वस्ल=मुलाक़ात】
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ
इरफ़ान सिद्दीक़ी
कौन कहता है कि दिल सिर्फ सीने में होता है
तुमको लिखूँ तो मेरी उँगलियाँ भी धड़कती हैं
अज्ञात
रात भर चाँद सितारों की मदद लेता हूँ !!
आसमा पर तेरी तस्वीर बनाने के लिए !!
नासिर अमरोहवी
लगने दो महफिल आज शायरी की जुबां करते हैं
तुम गालिब की किताब उठाओ,हम हाले दिल बयाँ करते हैं
अज्ञात
जिस गौहर को छुपाये फ़िरते हो आँखों में
ये सच है उन्हीं आँखों की हम चाह करें हैं
अज्ञात
【गौहर=मोती】
उस वक़्त का हिसाब क्या दूँ
जो तेरे बग़ैर कट गया
अहमद नदीम क़ासमी
राह की कुछ तो रुकावट यार कम कर दीजिए
आप अपने घर की इक दीवार कम कर दीजिए
आप का आशिक़ बहुत कमज़ोर दिल के है हुज़ूर देखिए
ये शिद्दत-ए-इन्कार कम कर दीजिए
बस मोहब्बत बस मोहब्बत बस मोहब्बत जान-ए-मन
बाक़ी सब जज़्बात का इज़हार कम कर दीजिए
फ़रहत एहसास
【शिद्दत-ए-इन्कार =मनाही की अधिकता】
सुरमें से लिखे तेरे वादे आँखों की ज़बानी आते हैं
तेरी बातों में किमाम की खुशबू है तेरा आना भी गर्मियों की लू है
गुलज़ार
इज़हार-ए-मुद्दआ का इरादा था आज कुछ
तेवर तुम्हारे देख के ख़ामोश हो गया
शाद अज़ीमाबादी
【इज़हार-ए-मुद्दआ=इच्छाओं की अभिव्यक्ति】
No comments:
Post a Comment