Wednesday, February 10, 2021

जब नाश मनुज पर छाता है - दिनकर

वर्षों तक वन में घूम-घूम,

बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,

सह धूप-घामपानी-पत्थर,

पांडव आये कुछ और निखर।

सौभाग्य न सब दिन सोता है,

देखेंआगे क्या होता है।

मैत्री की राह बताने को,

सबको सुमार्ग पर लाने को,

दुर्योधन को समझाने को,

भीषण विध्वंस बचाने को,

भगवान् हस्तिनापुर आये,

पांडव का संदेशा लाये।

दो न्याय अगर तो आधा दो,

परइसमें भी यदि बाधा हो,

तो दे दो केवल पाँच ग्राम,

रक्खो अपनी धरती तमाम।

हम वहीं खुशी से खायेंगे,

परिजन पर असि न उठायेंगे!

दुर्योधन वह भी दे ना सका,

आशिष समाज की ले न सका,

उलटेहरि को बाँधने चला,

जो था असाध्यसाधने चला।

जब नाश मनुज पर छाता है,

पहले विवेक मर जाता है।

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