Saturday, February 8, 2020

दिल की बातें दूसरों से मत कहो

दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे
आज कल इज़हार के धंधे में है घाटा बहुत

ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझ को 
ये कहने में मुझ को ज़माने लगे हैं 

होंठों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ू,
ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ।

हम नहीं कायल किसी के इश्क-ए-इज़हार के
हमें ख्वाब बहुत मुनाफ़ा देते है उनसे एतबार के।

इश्क़ के इज़हार में हर-चंद रुस्वाई तो है 
पर करूँ क्या अब तबीअत आप पर आई तो है! 

आसान नहीं है मुहब्बत की राहें,
उसने भेजा है काँटों समेत गुलाब! 



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