Friday, February 14, 2020

दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत

ज़ख़्म झेले दाग़ भी खाए बहुत 
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत 

जब न तब जागह से तुम जाया किए 
हम तो अपनी ओर से आए बहुत 

दैर से सू-ए-हरम आया न टुक 
हम मिज़ाज अपना इधर लाए बहुत

फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे 
पर हमें इन में तुम्हीं भाए बहुत 

गर बुका इस शोर से शब को है तो 
रोवेंगे सोने को हम-साए बहुत 

वो जो निकला सुब्ह जैसे आफ़्ताब 
रश्क से गुल फूल मुरझाए बहुत 

'मीर' से पूछा जो मैं आशिक़ हो तुम 
हो के कुछ चुपके से शरमाए बहुत! 

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