नफ़रत घटाए जाओ उल्फ़त बढ़ाए जाओ
- लाल चन्द फ़लक
मेरा मज़हब इश्क़ का मज़हब जिस में कोई तफ़रीक़ नहीं
मेरे हल्क़े में आते हैं 'तुलसी' भी और 'जामी' भी
- क़ैशर शमीम
उन का जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे
- जिगर मुरादाबादी
जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है
जंग क्या मसअलों का हल देगी
- साहिर लुधियानवी
मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं नफ़रत के लिए
मैं तो हर वक़्त मोहब्बत से भरा रहता हूँ
- मिर्ज़ा अतहर ज़िया
ये दुनिया नफ़रतों के आख़री स्टेज पे है
इलाज इस का मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है
- चरण सिंह बशर
मैं ने सीखा है ज़माने से मोहब्बत करना
तेरा पैग़ाम-ए-मोहब्बत मिरे काम आया है
- दर्शन सिंह
जिस में न चमकते हों मोहब्बत के सितारे
वो शाम अगर है तो मिरी शाम नहीं है
- नज़ीर बनारसी
अदावत कोई पैमाना नहीं है
मोहब्बत को मोहब्बत ही से तोलो
- वक़ार मानवी
मोहब्बत दोनों जानिब से मोहब्बत
न पूछो आह कैसी ज़िंदगी है
- अंदलीब शादानी
No comments:
Post a Comment