Stayin' Alive
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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इश्क है या इबादत
जिंदगी शायरी
ऐ ख़ुदा उतना ही दे
पर कई लोग निगाहों से उतर जाएँगे
मुहँ बनाना नहीं आता
सख़्ती थोड़ी लाज़िम है पर पत्थर होना ठीक नहीं
mohabbat शायरी
हम दीवानों की क्या हस्ती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
मुझको तेरा शबाब ले बैठा
तुझको आँसू की ज़रूरत तो पड़ेगी ज़ालिम
तेरी रूह से रूह का रिश्ता है मेरा…
दिल मिला न मिला मगर हाथ तो मिलाया कर
कोई ग़म है मुसलसल जो डुबाता चला गया
एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया
हर दर्द छुपाना पड़ता है,ग़म में भी हंसना पड़ता है
मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है - 10 बड़े शायरों के ...
लहजे में उसके ज़हर है बिच्छू की तरहा
मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ मशहूर शायरियां
ग़ालिब शायरी
उसकी हसरत है जिसे दिल से मिटा भी ना सकूँ,
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
जाग के रात राख़ किया करते हैं
कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा न लगे
कि तेरे बाद मुझे कोई बेवफ़ा न लगे
कोई जाता है यहाँ से न कोई आता है
ये जो है हुक्म मेरे पास न आये कोई
मैं इसी खोज में बढ़ता ही चला जाता हूँ
मैं तो झोंका हूँ हवाओं को उड़ा ले जाऊंगा,
तमन्ना छोड़ देते हैं... इरादा छोड़ देते हैं
हम क़ातिल को ज़िंदा छोड़ देते हैं
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
दोस्त है तो नसीहत ना कर खुदा के लिए..
सच है, विपत्ति जब आती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा.
हमारी तरह करवट बदलकर सोने की आदत नहीं
अब निगाहें निगाहों से मिलने से पहले
सवाल उतने नहीं है, जवाब जितने हैं
लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना.
चलो आज फिर हम
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से
मंज़िल हमारी दिखती सबको हसीन सी।
क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से
क्या कशिश थी तुम्हारी आँखों मे
क्या कशिश थी तुम्हारी आँखों मे
अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
चलो आज बिना वजह मुस्कुरा के देखते है!
शाम से आँख में नमी सी हैआज फिर आप की कमी सी है
मैं अपने गाँव की इक शाम तेरे नाम करता हूँ.
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए
तिरे लबों पे मिरे लब हों ऐसा कब होगा
क्या हक़ीक़त कहूं कि क्या है इश्क़
दिल लगा कर हम तो पछताए बहुत
Diary Jan '95
धड़कनें गाती हैं मल्हार मिलन की!
ख़ुश-फ़हमियों को दर्द का रिश्ता अज़ीज़ था
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता
मेरा कमाल इश्क़ में बस इतना है
तय कर लिया मैंने
तेरी दिल्लगी के फ़साने बहुत मशहूर हैं माना
मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई
किस बात पर है गुस्सा, हमें बताया तो होता !
बा-वफ़ा थे मिरे यार सब के सब!
दिल की बातें दूसरों से मत कहो
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
कहाँ तक किसी पर सितम ढाइएगा
बिखरे जो तेरी खुशबू,
कहाँ तक किसी पर सितम ढाइएगा
.इश्क़ खता है, तो ये खता, इक बार नहीं.... सौ बार क...
तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं
हर इक सूरत भली लगती है कुछ दिन
सृजन का बीज हूँ मिट्टी में ज़ाया हो नहीं सकता
वेलेंटाइन वीक की फरवरी
हर इक सूरत भली लगती है कुछ दिन
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं!
रूखसार शायरी
वो रौशन सितारा देखते रहिए!
लफ्ज पूरे “ढाई” ही थे !
गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ, भेजी हैं
किसी को हम न मिले, हम को तुम न मिले
लहरों को ख़ामोश देखकर, ये ना समझना
जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
मेरी रूह का तू हमसफ़र है
पाया भी उन को खो भी दिया चुप भी हो रहे
जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
बहुत सँभल के चले हम मगर सँभल न सके
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Tuesday, February 18, 2020
लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना.
मैं जब मर जाऊं तो मेरी अलग पहचान लिख देना,
लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना.
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