बिखरे जो तेरी खुशबू,
मौसम ये महक जाए!लहरा दे अगर जुल्फ़े,
सावन ये बरस जाए!
बलखा के चले जब तू लचका के कमर अपनी,
फिर जो भी तुझे देखे दीवाना हुआ जाए!
पलटे जो जरा मुड़ के मदमस्त अदाओं से,
शेरों.के लिए शायर ख़्वाबों में उतर जाए!
लिखता हूँ, ऐसे अशआर मोहब्बत में,
सदियों तलक ज़माना पढ़कर सुकून पाए!!
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