कितने ग़ुबार हैं दिल में, हमें बताया तो होता !
हम तो तैयार थे उनके दीदार को हर वक़्त,
मगर एक बार भी उसने, हमें बुलाया तो होता !
देख लेते हम भी दिल की तस्वीर झाँक कर,
मगर दिल में कभी उसने, हमें बसाया तो होता !
ज़रा सी बात को ही बना दिया दास्ताँ उसने,
ग़लती थी अगर कोई तो, हमें बताया तो होता !
बड़ा विचित्र है रोग ग़लत फहमियों का "दोस्त",
दवाई कौन सी है इसकी, हमें सुझाया तो होता !
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