अब ख़ुद को न दूंगा धोखा, यह तय कर लिया मैंने
डूब वियोग में न करूंगा पीछे, तय कर लिया मैंने
गुज़र गया जो भूल जाऊंगा, तय कर लिया है मैंने
पर तुझे न भूल पाऊंगा, यह तय किया समय ने
शायद प्रेम अभी मेरा चुका नहीं है, ख़त्म नहीं हुआ है
सुन्दर है, आत्मीय है तू, प्रिया मेरी अभी बहुत युवा है
अभी इस जीवन में तुझ से न जाने कितने प्रेम करेंगे
जाने कितने अभी मर मिटेंगे और तुझे देख आहें भरेंगे।
हम दोनों के बीच प्रेम का अब कोई बन्ध नहीं है
अन्तिम बार तुझे बाहों में लेकर मैंने गाए गीत
तेरी बातें सुनकर लगा ऐसा, ज्यों सुना उदास संगीत।
अलेक्ज़ेंडर पुश्किन
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