Saturday, February 1, 2020

पाया भी उन को खो भी दिया चुप भी हो रहे

पैमाना टूटने का कोई ग़म नहीं मुझे 
ग़म है तो ये कि चाँदनी रातें बिखर गईं 

पाया भी उन को खो भी दिया चुप भी हो रहे 
इक मुख़्तसर सी रात में सदियाँ गुज़र गईं! 

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