चलो आज फिर हम
करीब होते हैं
तुम पास होते हो
तो जाने क्यों
गुनाह होते हैं
कैसी है ये
ज़माने की हवा
दिल के अरमां
बेकाबू होते हैं
खुश़्क लबों को
कंपकंपाते देखा है
ख़बर है मुझको
तेरी आगोश में
दर्द फ़ना होते हैं।
जब भी ख़्वाबों का
मंज़र गुजरेगा
तेरी सुरमई आंखों में
समुन्दर गुजरेगा
डरता हूं
डूब न जाऊं कहीं
एक दर्द-सा
ज़िगर में उतरेगा।
शाम है कुछ
भीगी-भीगी-सी
हवा है कुछ
सर्द-सर्द-सी
एक चेहरा है
घुले हुए रंगों में
एक चुभन-सी है
दिल में जरा-जरा-सी।
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