क्षणिकाएं
(1)
बहुत "कोशिश"
की "पत्थर" बनूँ
मगर हर "बार" मै
"शीशे" की तरह "टूट" गया
(2)
"गुमनाम" रहा वो "मगर"
"दिल" से न "निकला" कभी
(3)
#मझधार में डूब गये "खवाब"
"किनारे" पर "जिंदगी" न मिली
(4)
अधूरे "ख्वाब" सजाये थे मगर
"पलकों" से वो भी "छूट" गया
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