Friday, November 1, 2019

क्षणिकाएँ

क्षणिकाएं
(1)
बहुत "कोशिश"
  की "पत्थर" बनूँ

मगर हर "बार" मै
"शीशे" की तरह "टूट" गया

(2)
"गुमनाम" रहा वो "मगर"
 "दिल" से न "निकला" कभी

(3)
#मझधार में डूब गये "खवाब"
"किनारे" पर "जिंदगी" न मिली

(4)
अधूरे "ख्वाब" सजाये थे मगर
"पलकों" से वो भी "छूट" गया

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