Tuesday, November 5, 2019

हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना

हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना 
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना! 

~अकबर इलाहाबादी

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