सांसों की सब खींचा-तानी ख़त्म हुई
- नज़र जावेद
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूंदों में बसा करता है
- मरग़ूब अली
मिट्टी का बदन कर दिया मिट्टी के हवाले
मिट्टी को कहीं ताज-महल में नहीं रक्खा
- मुनव्वर राना
मैं तो चाक पे कूज़ा-गर के हाथ की मिट्टी हूं
अब ये मिट्टी देख खिलौना कैसे बनती है
- ज़ेब ग़ौरी
मिट्टी में कितने फूल पड़े सूखते रहे
रंगीन पत्थरों से बहलता रहा हूं मैं
- असग़र मेहदी होश
मिट्टी पर उंगली से मिट्टी लिख देना
मैं ने अपना दिल बहलाना सीख लिया
- मुक़द्दस मालिक
सुब्ह मिट्टी है शाम है मिट्टी
या'नी अपना मक़ाम है मिट्टी
- आसिम तन्हा
मिट्टी से कुछ ख़्वाब उगाने आया हूं
मैं धरती का गीत सुनाने आया हूं
- नज़ीर क़ैसर
कोई ख़ुश्बू मिट्टी से आने लगी है
ज़मीं पर वो बूंदें गिराने लगी है
- साइमा जबीं महक
मिट्टी पे कोई नक़्श भी उभरा न रहेगा
गिर जाएगी दीवार तो साया न रहेगा
- नज़ीर क़ैसर