Sunday, May 2, 2021

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया

अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया 
जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया 

काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के 
दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया 

महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए 
लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया 

तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना! 
आईना बात करने पे मजबूर हो गया 

दादी से कहना उस की कहानी सुनाइए 
जो बादशाह इश्क़ में मज़दूर हो गया 

सुब्ह-ए-विसाल पूछ रही है अजब सवाल 
वो पास आ गया कि बहुत दूर हो गया 

कुछ फल ज़रूर आएँगे रोटी के पेड़ में 
जिस दिन मिरा मुतालबा मंज़ूर हो गया

बशीर बद्र 

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